Social Reforms
Solemn Pledge
Origin of Mission
Vedmurthy Taponishtha Pt. Sriram Sharma Acharya - A Visionary of Bright Future

पं० श्रीराम शर्मा आचार्य
संस्थापक
वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं० श्रीराम शर्मा आचार्य
आचार्य जी सादगी की प्रतिमूर्ति, राष्ट्रसंत एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। माताजी सादा, सरल एवं ममत्व, स्नेह से लबालब शक्तिस्वरूपा थीं। दोनों ही आज सशरीर हमारे बीच नहीं हैं। आदर्शवादी गायत्री परिवार का इतना बड़ा संगठन दोनों ने ममत्व से सींचकर अपने अथक प्रयत्न से खड़ा किया। इतने बड़े गायत्री परिवार का संगठन तथा मानव गढ़ने का साँचा उनके द्वारा कठिन प्रयत्नों से बनाया गया ।
सम्मान
- सन् 1964 में लुधियाना में संपन्न सर्व धर्म सभा द्वारा ‘लाइट ऑफ़ इंडिया’ की उपाधि ।
- सन् 1976 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल माननीय डॉ. एम. चेन्ना रेड्डी द्वारा ‘संस्कृत अकादमी की सम्मानास्पद सदस्यता’।
- सन् 1988 में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा ताम्रपत्र एवं स्वाधीनता संग्राम सेनानी सम्मान पत्र एवं पेन्शन | पेन्शन को उन्होंने राज्य सरकार को लौटा दिया ।
- 27 जून, सन् 1991 को महामहिम उपराष्ट्रपति महोदय (तत्कालीन) द्वारा उनके सम्मान में एक रुपये का रंगीन डाक टिकट विमोचन ।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा सन् 1995 में इनके जन्मस्थान आँवलखेड़ा में कीर्तिस्तंभ का लोकार्पण ।
माता भगवती देवी शर्मा
माताजी का जन्म सन् 1926 में 20 सितंबर को हुआ । वे मिशन के समस्त कार्यों में बराबर की सहयोगिनी रहीं । नारी जागरण अभियान का शुभारंभ माताजी के द्वारा प्रारंभ किया गया । सघन आत्मीयता-सहृदयता की प्रतिमूर्ति, आतिथ्य और दुलार को लुटाने वाली माता भगवती देवी शर्मा सबकी माता बन गईं।
सन् 1971 तक मथुरा में बड़े-बड़े यज्ञायोजनों की व्यवस्था उन्हीं के कुशल नेतृत्व के कारण सफल होती रही । घर की व्यवस्था, भोजन-व्यवस्था के साथ-साथ कार्यालय, अखण्ड ज्योति पत्रिका का संपादन तथा पत्राचार आदि बड़ी कुशलता से सँभालती रहीं । कोई भी व्यक्ति आता माताजी के हाथ का भोजन-प्रसाद पाकर इतना तृप्त होता कि उनका ही होकर रह जाता ।
पूज्य गुरुदेव का कठोर अनुशासन और वंदनीया माताजी का वात्सल्य भरा दुलार, दोनों ने मिलकर वसिष्ठ-अरुंधती युग्म की भाँति युगनिर्माणियों का सृजन किया। स्नेह भरा आतिथ्य, पीड़ितों-दु:खियों को ममत्व भरा परामर्श देकर विशाल गायत्री परिवार खड़ा कर दिया। ॠषियुग्म ने ब्राह्मणत्व का जीवन, ओढ़ी हुई गरीबी से युक्त त्याग-तपस्या का आदर्श जीवन जीकर दिखाया, जिसने हर अतिथि को प्रभावित किया।

माता भगवती देवी
संस्थापक

The Spiritual Heart of AWGP
Shantikunj Ashram, nestled in the serene surroundings of Haridwar, India, is the spiritual headquarters of the All World Gayatri Pariwar (AWGP). Founded by the revered Pandit Shriram Sharma Acharya in 1971, the ashram serves as a global center for spiritual awakening, moral upliftment, and social transformation, guided by the philosophy of the Gayatri Mantra and the principles of scientific spirituality.

प्रखर प्रज्ञा- सजल श्रद्धा
श्रद्धा अर्थात् उत्कृष्टता से असीम प्यार, अटूट अपनत्व । सजलता-तरलता इसकी विशेषता है । पानी पर कितने भी प्रहार किए जाएँ, वह कटता-टूटता नहीं है । पानी से टकराने वाला उसे तोड़ नहीं पाता, उसी में समा जाता है । श्रद्धा की यही विशेषता उसे अमोघ प्रभाव वाली बना देती है । प्रज्ञा अर्थात् जानने, समझने, अनुभव करने की उत्कृष्ट क्षमता, दूरदर्शी विवेकशीलता । प्रखरता इसकी विशेषता है । प्रखरता की गति अबाध होती है । प्रखरता युक्त प्रज्ञा हजार अवरोधों-भ्रमों को चीरते हुए यथार्थ तक पहुँचने एवं उसके उत्कृष्ट उपयोग में सफल होती है । सजल श्रद्धा-प्रखर प्रज्ञा तीर्थ के सनातन-मूल घटक हैं । जहाँ ऋषियों-अवतारियों के प्रभाव से यह दोनों धाराएँ सघन-सबल हो जाती हैं, वहीं तीर्थ विकसित-प्रतिष्ठित हो जाते हैं । युगतीर्थ-गायत्री तीर्थ के भी यही मूल घटक हैं ।
गायत्री प्रज्ञापीठ हेमन्तनाथ I
वर्ष 1991 में हेमन्तनाथ शिव मन्दिर प्रांगण में गायत्री परिवार की विभिन्न गतिविधियां प्रारम्भ की गयीं। इन गतिविधियों को व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से लखनऊ अश्वमेध यज्ञ के पश्चात 1994 में हेमन्तनाथ शिव मन्दिर में गायत्री साधना प्रारम्भ की गयी, जिसके छः माह पश्चात शिव मन्दिर में ही साप्ताहिक यज्ञ एवं तीन माह पश्चात मन्दिर के बाहर खुले प्रांगण में ही दैनिक यज्ञ प्रारम्भ किया गया।
एक वर्ष बाद टीन शेड में यज्ञशाला का निर्माण किया गया। इस प्रकार यज्ञशाला में 2016 तक प्रतिदिन दैनिक यज्ञ, साधना एवं संस्कार के कार्यक्रम सम्पन्न होते रहे। वर्ष 2010 में परिसर में ही गायत्री भवन का निर्माण किया गया, जहां वर्तमान में कार्यालय संचालित है। वर्ष 2016 में यज्ञशाला का पुनर्निर्माण करते उसे हुए भव्य स्वरूप प्रदान किया गया, जहाँ वर्तमान में दैनिक यज्ञ, समस्त संस्कार व पर्व - त्यौहार आदि सम्पादित कराये जा रहे हैं। इसी क्रम में सम्पूर्ण आलमबाग क्षेत्र (मवइया से बनी क्षेत्र तथा सरोजनीनगर व मोहनलालगंज ग्रामीण क्षेत्र) में गायत्री परिवार की समस्त गतिविधियों हेतु गायत्री प्रज्ञापीठ हेमंतनाथ को केंद्र बनाया गया, जहाँ से मिशन की समस्त गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।
गायत्री परिवार ट्रस्ट, एल.डी.ए. कालोनी, आलमबाग, लखनऊ I
सर्वप्रथम 8.7.2015 में गायत्री प्रज्ञापीठ हेमन्तनाथ ट्रस्ट की स्थापना कर रजिस्ट्रार आफिस से रजिस्ट्रेशन कराया गया, जिसके मुख्य ट्रस्टी डा. आर. पी. गुप्ता बनाए गए। शान्तिकुंज, हरिद्वार के निर्देश पर ट्रस्ट का नाम गायत्री परिवार ट्रस्ट, एल.डी.ए. कालोनी, आलमबाग, लखनऊ किया गया। चार वर्ष बाद वर्ष 2020 मे ट्रस्ट का पुनर्गठन किया गया और श्रीमती क्षमा गुप्ता को मुख्य ट्रस्टी बनाया गया। तत्पश्चात वर्ष 2023 में ट्रस्ट का पुनर्गठन हुआ और डा. एस.एन.सचान को मुख्य ट्रस्टी बनाया गया, जो वर्तमान में कार्यरत हैं। अगला पुनर्गठन
वर्ष 2026 में प्रस्तावित है।